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लेखनी कहानी -24-Oct-2023

कुत्ते

भाइयो और बहनों, मेरी एक सलाह है कि कुत्तों से सावधान रहना । ये कुत्ते बड़े ताकतवर होते हैं । ऐसा मैं क्यों कह रहा हूं, इसके पीछे भी एक कारण है ।

आज सवेरे सवेरे एक बड़ा दुखद समाचार मिला । "बाघ बकरी" चाय के मालिक पराग देसाई का असामयिक निधन हो गया । वे मात्र 49 वर्ष के थे । जब समाचार विस्तार से सुना तो पता चला कि उनकी मौत का कारण ब्रेन हेमरेज था । अब आप कहेंगे कि इसका कुत्तों से क्या संबंध है जो आप खामखां कुत्तों को बदनाम कर रहे हैं । पर वास्तव में उनकी मौत का कारण आवारा कुत्ते ही हैं । मैं आपको समझाने का प्रयास करता हूं ।

15 अक्टूबर को वे सुबह सुबह घूमने निकले थे कि उन्हें मौहल्ले के कुछ कुत्तों ने घेर लिया । वैसे भी अभी कुत्तों का "सीजन" चल रहा है और ये आवारा कुत्ते अपनी लालची निगाहें गड़ाए अपने "शिकार" की फिराक में बीच चौराहे पर बैठे रहते हैं । उन्हें बस दो ही चीजों से प्यार होता है । एक तो सूखी हड्डी से जिसे वे चबा चबाकर अपना टाइम पास करते रहते हैं और दूसरी कुतिया से जिसके लिए वे अपने संगी साथियों से भी भिड़ जाते हैं । दूसरा वाला कारण तो दो पैर के कुत्तों में भी पाया जाता है क्योंकि वे छोटी छोटी बच्चियों तक को नोंच डालते हैं । पर हम अभी चार पैरों वाले कुत्तों की बात कर रहे हैं ।

तो जब कुत्ते को न तो सूखी हड्डी मिलती है और न कुतिया, तो वह हिंसक ही बनेगा , और क्या बनेगा ? इस देश में बहुत सारे लिबरल्स ने यह नैरेटिव गढ दिया है कि जब लोगों को रोजगार नहीं मिलता है , चिकन मटन नहीं मिलता है , तब वह आतंकवादी बनता है । इसमें उस व्यक्ति का कोई दोष नहीं है, सारा दोष सरकार का है । और वह भी धर्म निरपेक्ष सरकार का नहीं केवल साम्प्रदायिक सरकार का है । लिबरल्स की नजर में ये साम्प्रदायिक सरकार आतंकवादियों से भी अधिक बुरी हैं इसलिए वे इसे उखाड़ फेंकने के लिएकैसे कैसे हथकंडे अपना लेते हैं । यद्यपि जब उन्हें कहा जाता है कि बेचारे कश्मीरी पंडितों का तो सब कुछ छीन लिया गया और उन्हें मारकाट कर निर्वासित कर दिया गया पर वे तो कभी आतंकवादी नहीं बने , तब ये लिबरल्स बड़ी बेशर्मी से इसे प्रोपेगेंडा कह कर पतली गली से निकल लेते हैं । यही इनका दोगलापन है ।

तो, मौहल्ले के सभी आवारा कुत्ते आवारा लड़कों की तरह बीच चौराहे पर अपना अड्डा जमाकर बैठे हुए थे और मस्तियाँ कर रहे थे । इसी बीच में बाघ बकरी वाले पराग देसाई जी उधर से निकल रहे थे । इस देश की गजब परंपरा है कि जो उद्योगपति देश के हजारों लोगों को रोजगार देते हैं , सरकारों को करोड़ों रुपया कर के रूप में देते हैं , राजनीतिक दलों को करोड़ों का चंदा देते हैं , उन पर कुछ कुत्ते सदैव भौंकते ही रहते हैं । ये अलग बात है कि ये कुत्ते बाद में उनके मकान में जाकर उनके चरणों में लोटकर उनके तलवे चाटते रहते हैं पर पब्लिक में उनको गालियां निकालते रहते हैं । तो इसी की देखा देखी ये आवारा कुत्ते भी "सेठजी" को देखकर भौंकने लगे । कुत्तों को भौंकते देखकर सेठ जी घबरा गये और भागने लगे । कुत्तों की एक विशेषता यह भी होती है कि जब उनके भौंकने से कोई आदमी डरकर भागने लगता है तो ये कुत्ते उस पर टूट पड़ते हैं । मगर जब वह इंसान इन कुत्तों के सामने सीना तानकर खड़ा हो जाता है तो ये कुत्ते या तो दुम दबा लेते हैं या किसी कोर्ट में हलफनामा देकर माफी मांग लेते हैं ।

सेठ जी भागे तो कुत्तों में और अधिक जोश आ गया , वे भी उनके पीछे भागे । इससे सेठजी घबरा गये और घबराहट में वे वहीं पर गिर पड़े और उन्हें सिर में गंभीर चोटें आईं । ब्रेन हेमरेज से उनकी मृत्यु हो गई । उनकी मौत पर सभी कुत्तों ने ऐसे ही जश्न मनाया जैसे हमास के बर्बर हमले में महिलाओं और बच्चों की नृशंस हत्या पर कुछ कुत्तों ने जश्न मनाया था । कुत्तों को किसी का कोई भय नहीं है । जो बेशर्म है वह क्यों डरेगा ? डरता तो वह है जिसके पास खोने को कुछ हो । मजे की बात यह है कि देश के कानून , सुप्रीम कोर्ट के फैसले और पशु प्रेमियों के आंदोलन कुत्तों के ही पक्ष में हैं । कुत्ता चाहे तो इंसान को मार सकता है, उसका बाल भी बांका नहीं होगा क्योंकि कानून ऐसे ही हैं और कुत्ता प्रेमी भी उसके साथ खड़े नजर आते हैं । मगर इंसान कुत्ते का बाल भी बांका नहीं कर सकता है क्योंकि इंसान के साथ कोई इंसान खड़ा नजर नहीं आता है । लगता है कि सब लोग कुत्ते और कुत्ता प्रेमियों से डरते हैं ।

मजे की बात देखिये कि इस देश में पशु प्रेमी वे हैं जो रोज बीफ, चिकन, मटन खाते हैं । आतंकवाद के पैरोकार लोग मानवाधिकारों के संरक्षक बने हुए हैं । कट्टर मज़हबी लोग धर्म निरपेक्षता का चोला ओढ़कर बैठे हुए हैं । सैफई में बॉलीवुड की नचनिया बुलवाकर 300 करोड़ रुपए फूंकने वाले "समाजवादी" बने हुए हैं । "ला विटां" का पर्स जो लगभग 1.5 लाख रुपए का आता है , 50000 रुपए का स्कॉर्फ गले में डाले , 1 लाख रुपए के जूते पहनने वाली सांसद "गरीबों की राजनीति" करती पाई जाती है । सैकड़ों बार निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त करने वाले "लोकतंत्र के रक्षक" करार दिये जाते हैं । अपने विरुद्ध एक भी शब्द नहीं सुनने वाले "अभिव्यक्ति के झंडाबरदार" समझे जाते हैं । चीन का माल खाकर पत्रकारिता करने वाले दलाल पत्रकार "निर्भीक, सच्चे और साहसी" कहे जाते हैं । और मजे की बात यह है कि इन पर उंगली उठाने वालों को "भक्त" का तमगा दे दिया जाता है ।

अब प्रश्न आता है कि इन आवारा कुत्तों का कोई क्या करे ? मेरा कहना है कि खबरदार जो इनके विरुद्ध कुछ विचार भी किया तो । हमारी कॉलोनी में भी आठ दस आवारा कुत्तों का एक "दल" बना हुआ है । जितने भी "कुत्ते" हैं वे सब "झुंड" या "दलों" में इकठ्ठे रहते हैं । उन्हें पता है कि वे अकेले जिंदा नहीं रह पायेंगे इसलिए वे झुंड में ही रहते हैं । उन आठ दस "कुत्तों" से पूरा मौहल्ला ही नहीं पूरा देश भी डरता है । इन कुत्तों को "पालने वाले" भी हमारे ही बीच में रहते हैं । एक दिन इन कुत्तों ने एक आठ दस साल की बेबी को काट लिया । इस पर जब उस बेबी के पापा ने ऐतराज जताया तो कुत्तों के बजाय उन्हें पालने वाली एक "कुत्ता प्रेमी औरत" भौंकी । पांच दिन बाद तो उन सज्जन के पास एक आदरणीया पशु प्रेमी सांसद का पत्र आ गया "खबरदार, मेरे कुत्तों को हाथ लगाया तो" । और नगर निगम जयपुर से एक नोटिस भी आ गया । बेचारे , कलेजे पर पत्थर बांधकर रह गये ।

मेरी तो आपसे एक ही सलाह है कि कुत्ते सर्वशक्तिमान होते हैं । अत: इनसे पंगा ना लें । कहने को तो संविधान "सुप्रीम" है पर इस संविधान की हमने संसद में और सुप्रीम कोर्ट में धज्जियां उड़ते देखी हैं । ये कॉलेजियम सिस्टम क्या संविधान में है ? तो फिर कौन संविधान की धज्जियां उड़ा रहा है ? इसी तरह इन कुत्तों के पक्ष में बहुत सारे लोग खड़े मिल जायेंगे पर इंसानों के पक्ष में कोई खड़ा नहीं मिलेगा । अत: कुत्तों से सदैव सावधान रहें और उनसे बचकर ही चलें । कुत्तों का कुछ नहीं बिगड़ेगा, पर आपका बहुत कुछ बिगड़ सकता है । पराग देसाई की तरह जान भी जा सकती है ।

हरिशंकर गोयल "श्री हरि" 24.10.23

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2 Comments

Mohammed urooj khan

25-Oct-2023 12:48 PM

👍👍👍

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Gunjan Kamal

24-Oct-2023 03:34 PM

बहुत खूब

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